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रटने से कुछ नहीं होगा, किताबों को आत्मसात करने की है जरूरत:- डीईओ.


  


 सासाराम:-आज सरकार की बहुत सी योजनाएं चल रही हैं, जो पहले नहीं थीं. यह योजनाएं आपको प्रेरित कर आगे पढ़ने के लिए हैं. इन्हीं योजनाओं में एक योजना विज्ञान ज्योति योजना है. आज जो 38 छात्रों को इस योजना के तहत करीब सात-सात हजार रुपए कि विज्ञान विषय की किताबें दी गई हैं, वह रखने के लिए नहीं, बल्कि पढ़ने के लिए हैं. किताबों को खुब पढ़िए. पढ़ने का यहां मतलब किताबों को समझ कर बार-बार पढ़ना है. क्योंकि रटने से तब तक कुछ नहीं होगा, जब तक आप किताबों को आत्मसात नहीं करते, इसलिए किताबों को आत्मसात करने की जरूरत है. उक्त बातें जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय ने श्री शंकर उच्च माध्यमिक प्लस टू स्कूल सभागार में विज्ञान ज्योति योजना में चयनित छात्रों को सम्मानित करने के लिए आयोजित सम्मान समारोह के दौरान कहीं. उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह किताबें मेडिकल व इंजीनियरिंग जैसे कंपटेटिव परीक्षा में काम आएंगी. इन दोनों कंपटेटिव परीक्षा के लिए तीन चार बातें याद रखें. पहला फिजिक्स और केमिस्ट्री के न्यूमेरिकल ज्यादा सॉल्व करें. जीतनी बार इन्हें बनाएंगे उतना आपको परीक्षा के दौरान आसानी होगी. दूसरा छोटे छोटे प्रश्नों पर ध्यान दें, यह जरूर आते हैं. बायोलॉजी पर भी ध्यान रखें. संक्षेप में कहा जाए तो फिजिक्स, केमेस्ट्री व बायोलॉजी पर पैनी नजर रखें. तीसरा टाइम मैनेजमेंट, जो सबसे बड़ा फैक्टर है. पढ़ने के लिए समय तय करें. सवालों को कम समय में सॉल्व करने के लिए टाइम मैनेजमेंट जरूरी है. क्योंकि परीक्षा के दौरान समय बहुत कम मिलता है. पढ़ने के लिए कोई समय सीमा नहीं है. चौथा नींद पूरी लें. ऐसा नहीं करें कि आप पढ़ते वक्त ऐसा सो जाएं कि आप कहीं और किताब कहीं और कलम कहीं और. उन्होंने अन्य बच्चों से कहा कि जो बच्चे छूट गए हैं, वह मायूस नहीं हों. क्योंकि आप सभी सफल हो सकते हैं. स्वयं को संवारे. कुछ बच्चे खेल में बेहतर करके आपके सामने सम्मानित हुए हैं. ऐसे ही आप भी कुछ अलग कर सकते हैं, जिसमें आप बेहतर हों.

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