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हरतालिका तीज का व्रत क्यों और कब किया जाता है? जानें इसकी शुभ मुहूर्त, पूजन विधि .


ATH NEWS 11 -हरतालिक तीज का व्रत 6 सितंबर दिन शुक्रवार को किया जाएगा, हर वर्ष यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना और आरधना करती हैं। इस दिन मिट्टी के शिवलिंग, गणेश और माता पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है और पूजा की जाती है। साथ ही कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए हरतालिक तीज का व्रत करती हैं। इस बार हरतालिक तीज पर कई शुभ योग और नक्षत्र का संयोग बन रहा है और इसी संयोग में यह महाव्रत किया जाएगा। इसलिए आइए जानते हैं हरतालिक तीज पर बन रहे शुभ योग, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...



ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का महाव्रत रखा जाता है। इस दिन रवि योग, शुक्ल योग के साथ हस्त नक्षत्र के संयोग रहेगा। हस्त नक्षत्र सुबह 9:25 तक रहेगा और उसके बाद चित्रा नक्षत्र लग जाएगा। जो काफी शुभ माना जाता है। इसके अलवा रवि योग सुबह 9:25 से लगेगा, जो 7 सितंबर को सुबह 6:02 मिनट पर खत्म होगा। इस दिन सुहागन पति की अच्छी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी लड़कियां सुयोग्य पति की मनोकामना के साथ व्रत रखती हैं। इसे तपसाध्य व्रत भी कहा गया है। पुराणों के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इस व्रत को किया था।

हरतालिका तीज का महत्व:-

धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले हिमालय राज की पुत्र माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। साथ ही माता पार्वती के कहने पर ही भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी कुंवारी कन्या इस दिन व्रत को रखेगी, उसके विवाह में आने वाली सभी समस्याएं दूर होंगी और भगवान शिव के समान पति की इच्छा भी पूरी होगी। साथ ही भौतिक सुखों में वृद्धि होगी और परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।

हरतालिक तीज पूजन शुभ मुहूर्त:-

ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पांच सितंबर को दोपहर 12: 21 मिनट से शुरू होकर दूसरे दिन 6 सितंबर को दोपहर 3:01 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि को मानकर हरतालिका तीज 6 सितंबर को रखा जाएगा। पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:02 से 8:33 तक रहेगा। भगवान शिव एवं माता पार्वती की शाम को प्रदोष काल में पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है।

हरतालिका तीज पूजन विधि:-

ज्योतिषाचार्यों बताया कि इस दिन माता पार्वती, शिवजी और गणेशजी की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पहले केले के पत्तों से मंडप बनाएं। मंडप में शिव परिवार को रखकर जल, रोली, अक्षत, धूप-दीप अर्पण कर पूजा करनी चाहिए। भोग में मौसमी फल, पूड़ी, चंदिया, गुलगुला के अलावा माता पार्वती को सुहाग का जोड़ा एवं सुहाग सामग्री भी चढ़ानी चाहिए। भगवान शिव को भी वस्त्र चढ़ाना लाभकारी होता है। अंत में हरतालिका तीज व्रत कथा को सूनना चाहिए। इस व्रत का पारण दूसरे दिन सुबह नदी के तट पर जाकर दोबारा पूजन करके किया जाता है। व्रत के दौरान रात्रि जागरण कर भगवान का भजन करना चाहिए।

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