संजय कुमार चौरसिया ब्यूरो रिपोर्ट बस्ती।
कलवारी, बस्ती - सोमवार की शाम दिग्विजय यादव एवम् पूर्व कमांडो गंगा प्रसाद यादव की अध्यक्षता में रेजांगला दिवस के अवसर पर ब्लॉक परिसर में स्थापित स्मारक पर फूल माला चढ़ाकर शहीदों को नमन किया। शहीदों की याद कुदरहा बाजार में कैंडल मार्च निकाला गया।
सूबेदार मेजर ( आनरेरी लेफ्टिनेंट ) चंद्रशेखर शुक्ला, चन्द्र प्रकाश उपाधयाय ने कहा कि चुशुल घाटी के दक्षिण पूर्वी रिज पर बर्फीले पहाड़ की चोटी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लड़ी गई ‘रेजांगला’ की लड़ाई में भारतीय सैनिकों की संख्या काफी कम थी, उनके पास अव्वल दर्जे के हथियार नहीं थे और सैनिक अपने हथियारों के साथ पहाड़ की ऊंची चोटियों पर चढ़ना उनके लिए बेहद मुश्किल भरा था। क्योंकि वह पहाड़ से नीचे की तरफ थे और दुश्मन पहाड़ की ऊंची चोटियों पर ऊपर जमे बैठे थे। इस कंपनी के 120 सैनिकों और अधिकारियों में से 114 की मौत हो गई. फिर भी वे दुश्मन की ओर से 1000 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराने में कामयाब हुए थे।
हवलदार अनिल कुमार यादव ने कहा की यह लड़ाई उस समय और भी गौरवमयी प्रतीत होती है, जब हमें इस बात का ध्यान आता है कि कमांडर को छोड़कर, जो एक राजपूत थे, कंपनी के सभी सैनिक अहीर थे। वो हरियाणा के गुड़गांव और मेवात क्षेत्र से थे और सभी का संबंध पशुपालकों और किसानों समुदायों से था। उनके लिए माइनस 30 डिग्री तापमान में लड़ना आसान नहीं था। उनकी यह पहली लड़ाई थी। अधिकांश सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पहले कभी कोई सक्रिय ऑपरेशन नहीं देखा था। महीनों बाद उनका जमा हुए शरीर उस शिलाखंड के पास उनके सैनिकों के कई शवों के साथ मिला था फरवरी 1963 में एक भारतीय खोज दल ने युद्ध के मैदान में बर्फ से ढकी लाशों का पता लगाया था। इनमें से कुछ अभी भी अपनी बंदूकों से चिपके हुए थे और अन्य हमला करने के लिए तैयारी वाली झुकी हुई पोजीशन में मौत के घाट उतारे गए थे।
इस मौके पर दुर्गेश यादव, जनमेजर सिंह, युवा नेता अवधेश यादव, संतोष यादव, फौजी दिग्विजय पांडेय, मंजीत यादव, विजय पाल यादव, जामवंत यादव, विजय यादव, अमित यादव, विवेक यादव, रजनीश यादव, डॉ जय सिंह यादव, सत्यम यादव, सतेंद्र यादव, राहुल आर्य, रामेश्वर यादव, दिवाकर यादव, राकेश आर्य, चंदन आर्य, राम सनेही, योगेन्द्रनाथ यादव, लवकुश यादव, सहित तमाम गणमान्य लोग भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
