डेहरी रोहतास से रिंटू सिंह की रिपोर्ट ।
एटीएच न्यूज़ 11:- कचौड़ी गली, डेहरी ऑन सोन की रहने वाली डॉ बबली कुमारी का इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नालंदा महिला कॉलेज, बिहार शरीफ
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई में हुआ है। बचपन का सपना अंतत पूरा हुआ । अपने पति की मृत्यु के बाद पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। बबली कुमारी अपने पति की मृत्यु के बाद पूरी तरह टूट गई थी फिर भी उन्होंने प्रोफेसर बनने के अपने जुनून को जारी रखा और अपने कचौड़ी गली स्थित अपने घर में ही छोटे बच्चों के लिए एक किड्स पाठशाला प्ले स्कूल प्रारंभ की और उसी के बदौलत उन्होंने अपनी पारिवारिक दायित्व की पूर्ति करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखा। बबली कुमारी के बचपन से ही कविताओं एवं काव्य संग्रह में काफी लगाव रहा है अब तक उनके द्वारा लिखित, कुसुमाकर मेरे दोस्त , साथी तेरे बिन सहित देश-विदेश के पत्र पत्रिकाओं में भी उनकी कई काव्य संग्रह, कहानी एवं निबंधों का प्रकाशन हुआ है तथा इन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में कई सम्मान प्राप्त हुआ है। डाॅ.बबली कुमारी झारखंड के पलामू के छोटे से गांव सतबरवा की रहने वाली है। बचपन से ही पढ़ाई में रुचि रही है, शादी होने के बाद भी मैं ससुराल से ही अपनी पढ़ाई को आगे जारी रखते हुए 2015 में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और 2017 में बाबा गणिनाथ महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति हुई। 2022 में पति का स्वर्गवास हो गया उसके बाद भी पढ़ाई जारी रखते हुए 2023 में पीएचडी की उपाधि हासिल किया । उसके बाद अभी 2024 में नालंदा महिला कॉलेज बिहार शरीफ में अतिथि संकाय में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति हुई है। फिर भी उन्होंने इसका श्रेय भगवान के साथ-साथ पति स्वःअरविंद कुमार तथा 10 वर्षीय पुत्र आरीव ,अरविंद को दिया।
