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माँ स्वर्गीय पूर्णिमा प्रसाद के प्रति --------संजय कुमार अम्बष्ट




त्याग भरा जीवन महान था 

मकसद सामाजिक उत्थान था 

ससुराल मायके मे एकता लायी 

मान सम्मान सबका बढ़ायी.



 ई. 1965से ज्ञान का दीप जलायी 

जिनेदपुरनारी कोबौद्धिकसबल कीं 

किताबी ज्ञान या हो सिलाई बुनाई 

सभी मे महिला को अव्वल कराईं.



स्वेच्छा  की  बलि  चढ़ायी 

पतिव्रता  धर्म   निभायी 

विद्वता, मिलनसार, शीलता, सादगी 

महत्वपूर्ण गुण उन्होंने पायी.


वो दया की सागर थीं 

गुणों की गागर थीं 

कवियत्री कमाल की थीं 

चित्रकार बेमिसाल थीं.


ईश्वर उपासना मे लीन रहीं 

अटूट विश्वास सदा उनमें पायी 

पति वियोग वो सह नहीं पायी 

आंशिक यादाश्त वो गावायीं.


संस्कार, धर्म की पाठ पढ़ायीं 

आशावादीबनने कीअलख जगायीं 

मदर टरेसा की वो अनुयायी थीं 

सेवा  गुण  उनका  वो   पायी थीं.


जातिवाद की कट्टर दुश्मन 

दलित, पीड़ित की शुभचिंतक थीं 

20मई,2024 को देहावसान हो गया

मरकरभी अमर उनका नाम हो गया.

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