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जौनपुर:- प्रेस वार्ता की खबरे दिखाने पर आरोपी ने पत्रकारों पर दर्ज कराया मुकदमा।





 

 विशाल कुमार गौतम की रिपोर्ट। 


जौनपुर-आज मुख्यालय पर पहुंचकर राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद रजिस्टर्ड के पदाधिकारीयो ने एक ज्ञापन पुलिस अधीक्षक को   दिया जिसमें बताया गया कि पिछले 24 सितंबर 2024 को शहर के होटल में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्रीज के लोगों के द्वारा एक प्रेस वार्ता बुलाई गई थी जिसमें उन्होंने जिले के सुजानगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति के ऊपर फर्जी तरीके से पैसे हड़पने व उनकी फिल्मों को खरीदने का आरोप लगाया था।


संगठन के महासचिव को फर्जी मुकदमा में षडयंत्र के तहत फंसाया गया शशि मौर्य जिला प्रभारी रियाजुल हक़ शहर के पॉलिटेक्निक चौराहे के पास के रहने वाले है जो पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं व राष्ट्रीय पत्रक सुरक्षा परिषद रजिस्टर्ड के जिला महासचिव भी है एवं वर्तमान में एक हिंदी दैनिक, व एक साप्ताहिक अखबार में जिला संवाददाता है ।लगभग पिछले 18 वर्षों से सामाजिक व सरकार की योजनाओं का पत्राचार के माध्यम से आम जन तक पहुंचाना इनका कर्तव्य है।एवं यह जनपद की लावारिश शव इंतज़ामिया कमेटी जौनपुर के अध्यक्ष भी है।जनपद में किसी भी थाने से कोई भी लावारिश शव आता है उसका अंतिम संस्कार इनके द्वारा निस्वार्थ व निशुल्क किया जाता है।यह 24/09/2024 को जौनपुर शहर के एक निजी होटल मे बुलावे पर गए,जिसमे सभी प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार बन्धु को बुलाया गया था। जिसमें प्रेस वार्ता के माध्यम से भोजपुरी फ़िल्म निर्माताओं ने आर्या डिजिटल ग्रुप के मालिक दुर्गेश सिंह पुत्र राज बहादुर सिंह  ग्राम करौरा थाना सुजानगंज के निवासी पर धोखाधड़ी,फर्जी वाड़ा का आरोप लगाया था ।उसी समय पुलिस अधीक्षक से मिलकर आर्या डिजिटल ग्रुप के मालिक दुर्गेश के खिलाफ दिनांक 25/09/2024 को थाना लाइन बाजार में एक मुकदमा भी दर्ज हुआ था जिसकी FIR N. 0489/2024 है। इसके पूर्व में भी आर्या डिजिटल ग्रुप के मालिक दुर्गेश सिंह के ऊपर कई मुकदमे दर्ज है।

इसके बाद उक्त दुर्गेश के द्वारा दिनांक 21 जनवरी 2025 को प्रेस वार्ता के 3 महीने बीतने के बाद दर्ज मुकदमे में पत्रकारों को भी खबर चलाने पर आरोपी बनाया गया है जबकि दोनों पक्ष की खबर रियाजुल ने अपने अखबार व सोशल साइड्स पर दर्शाई थी। 

ऐसे में सवाल उठता है कि पत्रकार अगर प्रेस वार्ता की खबरों को हुबहू नहीं दिखाएंगे तो फिर लोग प्रेस के माध्यम से अपनी बात कैसे कह पाएंगे और अगर इसी तरीके से पत्रकारों को फर्जी मुकदमे में आरोपी बनाया जाता रहा तो फिर लोग किसी भी प्रेस वार्ता में जाने से कतराते नजर आएंगे और भारत जैसे संवैधानिक देश में पत्रकारिता का हनन होता रहेगा।

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