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भारत-नेपाल सीमा पर दिनदहाड़े तस्करी है जारी-प्रशासन मौन।






महराजगंज- भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिन के उजाले में ही पिकअप गाड़ियां भारी मात्रा में सामान लेकर बेरोकटोक सीमा पार कर रही हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां मौन बनी हुई हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह तस्करी अब इतनी आम हो गई है कि उनके जीवन पर भी संकट खड़ा हो गया है।

सीमावर्ती गांव लक्ष्मीपुर खुर्द, रेघहिया, मटरा, धमउर, शीतलपुर और बहुहार में तस्करों द्वारा हजारों बोरियां खाद्यान्न सामग्री और अन्य सामान अवैध रूप से गोदामों व घरों में जमा किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इन इलाकों में तस्करी का नेटवर्क बहुत मजबूत हो चुका है, और सुरक्षा एजेंसियों की निष्क्रियता से तस्करों के हौसले बुलंद हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि तस्करी के कारण उनके क्षेत्र में असामाजिक तत्वों की आवाजाही बढ़ गई है। रात-दिन पिकअप गाड़ियों की आवाजाही से सड़कें असुरक्षित हो गई हैं, जिससे बच्चों और आम नागरिकों के लिए सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। कई बार देखा गया है कि तस्कर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की चौकियों के सामने से ही बेखौफ होकर माल ले जाते हैं और सीमा पार करा देते हैं।


ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह तस्करी सुरक्षा एजेंसियों की नाक के नीचे से कैसे संचालित हो रही है? क्या इसमें मिलीभगत है या फिर सुरक्षा में कोई बड़ी चूक हो रही है? इस पूरे मामले पर निचलौल कस्टम अधीक्षक ने कहा कि अगर तस्करी की गतिविधियां पाई जाती हैं तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पर सुरक्षा को और सख्त किया जाएगा।


भारत-नेपाल सीमा संवेदनशील इलाका माना जाता है, जहां से कई तरह की प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी की संभावना बनी रहती है। अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो आने वाले समय में तस्करी का यह नेटवर्क और भी मजबूत हो सकता है, जिससे न केवल सरकारी राजस्व को भारी नुकसान होगा, बल्कि कानून-व्यवस्था भी प्रभावित होगी। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तस्करी पर तुरंत लगाम लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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