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सम्पूर्ण क्षेत्र वातावरण हुआ भक्तिमय आखिर क्यों आइए जानते हैं खबर के माध्यम से।

 



गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।


एटीएच न्यूज़ 11:- गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सतबहिनी झरना तीर्थ से इन दिनों भक्ति की धारा प्रवाहित हो रही है। जिससे संपूर्ण क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो रहा है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ में श्रीराम चरित मानस महायज्ञ का लगातार 25वां अधिवेशन सह मानस महायज्ञ की रजत जयंती समारोह प्रगति पर है। यज्ञ मंडप से वैदिक मंत्र गूंज रहे हैं। वहीं बगल की कुटिया से संगीतमय शैली में मानस की दोहे व चौपाइयों का सस्वर वाचन हो रहा है। इधर प्रतिदिन दोपहर से शाम तक चल रहे ज्ञान यज्ञ से श्रीराम चरित मानस व श्रीमद् भागवत महापुराण के प्रसंगों का संगीतमय प्रवचन चल रहा है। चौथे दिन के प्रवचन सत्र में बक्सर के पं. रोहित तिवारी, गुप्त काशी के आचार्य सौरभ भारद्वाज, चित्रकूट की राजकुमारी देवी, अयोध्या के आचार्य अवधेंद्र प्रपन्नाचार्य व विद्या कुंड श्रीराम धाम अयोध्या के ही श्री श्री 1008 श्री महामंडलेश्वर महंत श्री प्रेमशंकर दास जी महाराज के द्वारा मानस व श्रीमद् भागवत महापुराण समेत वेदों, पुराणों व उपनिषदों के विभिन्न आख्यानों की सुमधुर शैली में व्याख्या की जा रही है। जिसे सुनने के लिए दूर दूर से श्रोताओं की जनमेदिनी उमड़ रही है। आज चौथे सत्र में श्रीमती राजकुमारी देवी ने महर्षि विश्वामित्र के द्वारा यज्ञों की रक्षा के लिए राजा दशरथ से राम लक्ष्मण के मांगे जाने के प्रसंग की करुण व्याख्या की। कहा कि कर्म ही इंसान को महान बनाता है। सभी आज अभिनय करते हैं। लेकिन वास्तव में अपनापन नहीं है। भाई भाई में अनबन, पिता पुत्र में मतभेद है। भाई कैसा होना चाहिए। पिता पुत्र में संबंध कैसा होना चाहिए। संस्कार कैसा होना चाहिए यह हमें रामायण सिखाती है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज समाज में बैर बढ़ता जा रहा है। कटुता बढ़ती जा रही है। राम चारों भाई एक साथ बैठकर एक ही थाली में खाते थे। आज हर भाई अपने-अपने कमरे में खाता है। नारियां पुत्रों के प्रति भेदभाव करती हैं। समाज में संस्कार का लोप होता जा रहा है। इस सबों का समाधान केवल रामचरितमानस में है। अंत में समवेत स्वर में आरती गायन के साथ चौथे दिन के श्री राम कथा का विश्राम हुआ।

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