ATH NEWS 11 GROUP OF MEDIA

संपादकीय -तो क्या ?पश्चिम बंगाल में कम से कम 6-7 जिले पूरी तरह से पुलिसिया नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं !!





एटीएच न्यूज़ 11 :-पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपना घर-बार, संपत्ति छोड़कर पलायन कर जाएगा, यहां तक ​​कि मारा भी जाएगा, लेकिन वह अपनी बंगाली पहचान और उप-राष्ट्रवाद को कभी भी नहीं छोड़ेगा. यही समस्या की असली जड़ है !! समस्या न तो कांग्रेस में है, न ममता में है, न कम्युनिस्ट पार्टी में, न भाजपा में, न वहां के पुलिस में है. ममता की भूमिका ने तो बस उस समस्या को उजागर किया है.
बंगाली अभिजात वर्ग जिसे हम सरल भाषा में 'भद्रलोक बांगाली' कहते हैं, इस सब पर वह आंखें मूंद लेता है, वह रवींद्र संगीत में मग्न रहता है और बंगाली श्रेष्ठता का गुणगान करता रहता है. जो लोग आज पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए बेताब हो रहे हैं, उन्हें शायद यह एहसास नहीं है कि, अगर यह लागू हो जाता है, तो यही 'भद्रलोक बांगाली' कल इसको लेकर दिल्ली से बंगाली पहचान को चुनौती के रूप में पेश करेगा और हिन्दुओं को और ज्यादा भड़काएगा !! इन सभी मुद्दों के लिए हिन्दू खुद जिम्मेदार है. जब तक हिन्दू पहचान अन्य सभी पहचानों से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो जाती, तब तक हिन्दू जीवित नहीं रह सकता. इधर से उधर भागते रहेगा, लेकिन कुछ नहीं बदलेगा.
बंगाली अस्मिता पर प्रश्न उठाते ही, हिन्दू पहचान के नाम पर मार खाते बंगालियों की अस्मिता जाग उठी !! वे सोशियल मिडिया पर भयानक प्रतिक्रिया दे रहे हैं, क्यों !? क्यूंकि उनके लिए बंगाली अस्मिता प्रथम पहचान है और हिन्दू अस्मिता द्वितीय. इसलिए हिन्दू अस्मिता पर प्रहार उतना परेशान नहीं करती जितना बंगाली अस्मिता पर प्रहार होता है. जबकि इनको यह नहीं पता कि किसी भी झि-हादी को न क्षेत्र से मतलब होता है, न भाषा से. वह दुनिया को केवल का-फ़िर और ग़ैर का-फ़िर में बांटता है !! बंगाल की समस्या का समाधान बंगाल के बाहर नहीं है, समस्या वहीं की है, समाधान वहीं से निकलेगा. उनकी काल्पनिक दुनिया में शेष भारत असभ्य है, पिछड़ा है, बेकार है, कम असरदार है, अविकसित है.
बंगाल में ममता बनर्जी के हाथ में कुछ बचा होगा तब न कुछ कर पाएंगी. वोट बैंक के लिए हिस्लामिक झिहादियों को खुला छूट दे दिया. महज़ डेढ़ दशक में वो अब इतने मज़बूत हो चुके हैं कि आज़ ममता बनर्जी चाह भी लें तो कुछ नहीं कर सकती. शासन चलता है हनक से, ममता ने वह हनक समाप्त कर दी और एक बार हनक समाप्त हो गई तो झिहादी फिर किसी के बस के नहीं रह जाते.
पश्चिम बंगाल में कम से कम 6-7 जिले पूरी तरह से पुलिसिया नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं !! शायद अब इसका एक मात्र उपाय है कि कम से कम दो दशक तक एक निष्ठ हिन्दूत्ववादी शासन. अभी कुछ मूर्ख इस बात से परेशान हैं कि इन घटनाओं से भाजपा का वोट बढ़ेगा यानी मूर्खता के चरम पर बैठे इन इमोशनल फूल लोगों की शायद यह ख्वाहिश है कि इतने अत्याचार के बाद भी ममता के पक्ष में हिंदू समाज एकजुट रहे !?
इनको लगता है कि केंद्र सरकार पूर्ण बहुमत से चुने सरकार को हटाकर साल भर बाद फिर से उसे पाँच साल आने की व्यवस्था बना दे !? खैर मोदी जी और अमित शाह जी ने न ऐसी गलती कहीं और की थी, न ही बंगाल में करेंगे. समाज ने जिसका चयन किया है उसे जब तक पूरा नहीं भुगत लेता वह नहीं सीखता. लोकतंत्र में स्थायी परिवर्तन ऐसे सीख से ही आते हैं और जो समाज नहीं सीख सकता फिर उसे आप कब तक बचाते फिरेंगे.....!?

Post a Comment

Previous Post Next Post