संजय तिवारी.
दिनारा (रोहतास) :-वांग्मय परिषद दिनारा के तत्वाधान में लब्ध्य प्रतिष्ठित कवि एवं पूर्व प्रधानाचार्य लक्ष्मण चौबे की अध्यक्षता में कवि संगोष्ठी एवं अहमदाबाद एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए विमान यात्रियों एवं अन्य लोगों की आत्मा की शांति के लिए शोक सभा आयोजित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षाविद, कविगण, प्रबुद्धजन एवं साहित्यकार एवं लेखकों ने कवि संगोष्ठी में देशभक्ति, भजन एवं गजल सहित व्यंग्यात्मक रचनाओं की बेजोड़ प्रस्तुति दी। कवि संगोष्ठी का शुभारंभ कवि हृदयानंद गोस्वामी ने भजन- "लिखा जो किस्मत में मिटता नहीं मिटाने से" की। पूर्व प्रधानाध्यापक एवं रेडियो स्टेशन गायक ब्रजेश कुमार सिंह ने अहमदाबाद विमान दुर्घटना पर आधारित हृदय विधायक कविता को प्रस्तुत किया। शिक्षाविद एवं लेखक, कवि एवं साहित्यकार डॉ सरोज कुमार गुप्ता की प्रस्तुति-"तुमसा नहीं देखा" काफी बेजोड़ एवं दमदार रही। कथावाचक राजबल्लभ सिंह ने सीता स्वयंवर का वर्णन कर सबको भाव विभोर कर दिया। कवि एवं वेदव्यास विनोद दुबे ने "चार गो पोस देनी दुधवा पिलाई के, चारो बेटवा से पेट नहीं भरत माई के" मां के दर्द को गहराई से उकेरा एवं कलयुगी पुत्रों पर कड़ा प्रहार किया। विकास कविराज की कविता" जेकर महिमा के चर्चा होला गली-गली ,रुद्र अवतार हवें बजरंगबली" ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। शाहाबाद प्रक्षेत्र के ख्याति प्राप्त कवि कमलनयन दुबे के सुपुत्र कवि कृष्ण कुमार दुबे ने अपनी कविता के माध्यम से अंधविश्वास एवं रूढ़िवादिता पर हमला बोला। श्रीनिवास चौबे की रचना "काहे बनल माखन चोर यशोदा के लाला ने खूब बाहाबाही बटोरी। विनोद तिवारी ने शिक्षा से संबंधित प्रस्तुति दी। आध्यात्मिक कवि सत्यनारायण साह का कथा बोध एवं जगनारायण साह का शिक्षाप्रद उक्ति काफी प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय रहा। धन्यवाद ज्ञापित पूर्व थानाध्यक्ष एवं शिक्षाविद गोविंद प्रसाद सिंह ने की। मौके पर पूर्व प्रधानाध्यापक ज्वाला सिंह, समाजसेवी काशी प्रसाद सिंह,जनार्दन प्रसाद सिंह, शशांक कुमार, पैक्स अध्यक्ष तारकेश्वर सिंह, जवाहर साह सहित अन्य प्रबुद्ध जन शामिल थे। कवि संगोष्ठी का समापन अहमदाबाद एयर इंडिया विमान दुर्घटना के शिकार लोगों सहित गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की याद में 2 मिनट के मौन एवं दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना के साथ संपन्न हुई।
