गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।
एटीएच न्यूज़ 11:- माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन करते हुए सोमवार को स्थानीय प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। आपको बता दें कि कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सुंडीपुर गांव अवस्थित मध्य विद्यालय की सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए प्रशासन का बुलडोजर चला। सोमवार को सुबह करीब 11:00 बजे भारी पुलिस बल की मौजूदगी में विद्यालय की भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए मकानों को ध्वस्त कर दिया गया। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत अतिक्रमणकारी सुरेश राम, बुधन राम, बुधिया कुंवर एवं जीतकेश्वर पासवान द्वारा निर्मित कच्चे खपरैल वो फुश से निर्मित मकानों को जेसीबी (JCB) की मदद से ज़मींदोज़ कर दिया गया। कार्रवाई के दौरान मौके पर अफरा-तफरी का माहौल रहा, हालांकि कांडी पुलिस की मुस्तैदी के कारण स्थिति सामान्य में रही।
मौके पर मौजूद रहे आला अधिकारी
अभियान का नेतृत्व कर रहे अंचलाधिकारी (CO) राकेश सहाय व थाना प्रभारी अशफ़ाक आलम ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान अंचल निरीक्षक (CI) संदीप गुप्ता, राजस्व कर्मचारी गणेश चौधरी, अंचल अमीन धर्मेंद्र विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान तैनात थे।
प्रशासन के पक्ष: द्वारा बार-बार नोटिस के बाद भी भूमि को नहीं खाली की किया जा रहा था उसके बाद
अंचलाधिकारी राकेश सहाय ने बताया कि विद्यालय की भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर माननीय उच्च न्यायालय का सख्त आदेश था। उन्होंने स्पष्ट किया कि "इन लोगों को अंचल कार्यालय की ओर से पूर्व में कई बार नोटिस तामिला कराया गया था और घर खाली करने का पर्याप्त समय दिया गया था। उसके बाद भी, भूमि को खाली नहीं की गई। आज प्रशासन ने समान की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए और बचाव के साथ विद्यालय प्रांगण को पूर्णतः अतिक्रमण मुक्त कराया है।"
अतिक्रमणकारियों ने जताया दुःख
दूसरी ओर, बेघर हुए परिवारों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर अपनी व्यथा व्यक्त की। सुरेश राम व अन्य प्रभावितों का कहना है कि घर टूटने से उनका लाखों का नुकसान हो गया है और अब उनके सामने सिर छुपाने की चुनौती खड़ी हो गई है। वहीं
विद्यालय में खुशी का माहौल देखने को मिला,
विद्यालय की भूमि मुक्त होने से शिक्षकों और स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। जमीन खाली होने से अब विद्यालय के खेल मैदान और अन्य विकास कार्यों का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन इस सर्दी के मौसम में जिस परिवार का घर उजड़ गया उस परिवार का भी दुःख दर्द को आप समझ सकते हैं अब देखना यह होगा कि इन बेघर परिवार का सहारा कौन बनता है।
