संजय कुमार चौरसिया ब्यूरो रिपोर्ट बस्ती.
बस्ती - यूं ही नहीं बस्ती जनपद आईजीआरएस पोर्टल पर पहला स्थान हासिल करता है। मामला किसी और का, समाधान किसी और का और असली पीड़ित थाने से लेकर कोर्ट-कचहरी तक चक्कर लगाता रहता है। ऐसा ही एक मामला कलवारी थाना क्षेत्र से सामने आया है, जिसने आईजीआरएस निस्तारण की हकीकत उजागर कर दी है।
कलवारी क्षेत्र के वैष्णवपुर गांव की निवासिनी सावित्री देवी पत्नी जोखन प्रसाद चौधरी ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया था कि गांव के ही ओमप्रकाश ने उनके घर और जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। दबंग प्रवृत्ति के कारण सावित्री अपने पति संग खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी के आदेश पर 25 जुलाई 2025 को नायब तहसीलदार नगर ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर कब्जा मुक्त कराया था तथा विपक्षी को एक सप्ताह के भीतर जमीन से टीनशेड हटाने का निर्देश दिया गया था।
लेकिन आज तक टीनशेड नहीं हटाया गया। उल्टे सावित्री को जानमाल की धमकी दी जा रही है। इस पर पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री पोर्टल पर प्रार्थना पत्र दिया। आश्चर्यजनक रूप से कलवारी थाना क्षेत्र के माझा खुर्द चौकी प्रभारी शैलेश कुमार यादव ने सावित्री देवी के मामले की जगह उसी गांव की सुशीला पत्नी राजबली का प्रकरण दर्ज कर समाधान दिखा दिया। क्षेत्राधिकारी कलवारी की संस्तुति के साथ यह रिपोर्ट शासन को भी भेज दी गई।
अपने मामले में इस तरह की हेराफेरी देख सावित्री देवी स्तब्ध रह गईं। उन्होंने दोबारा पत्र लिखकर आईजीआरएस पर गलत विवरण दर्शाने की शिकायत की। शिकायत पर जांच सीओ कलवारी को दी गई, जिन्होंने पूर्व की सभी कार्रवाइयों का उल्लेख तो किया लेकिन जमीन से अवैध टीनशेड हटाने के मूल मुद्दे पर चुप्पी साध ली।
पीड़िता अब भी न्याय की प्रतीक्षा कर रही है और सवाल यह है कि जब आईजीआरएस पोर्टल पर ही वास्तविक समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है तो पीड़ित आखिर न्याय की आस कहां लगाए?
