सासाराम (रोहतास) बिहार प्रदेश कांग्रेस सहकारिता विभाग के प्रदेश महासचिव सह नेताजी सुभाष चंद्र बोस फाउंडेशन के अध्यक्ष गांधीवादी समाजसेवी राजेंद्र पासवान का रविवार की रात देहावसान हो गया। इसके बाद लोगों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। पार्टी के नेताओं सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने गहरा दुःख प्रकट किया। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके पुत्र गौतम ऋषि के मुताबिक स्वर्गीय पासवान की तबीयत दो दिनों से खराब चल रही थी इसके बाद शहर के एक निजी चिकित्सक के परामर्श के बाद इलाज के लिए वाराणसी जाने के क्रम में कैमूर जिले के मोहनिया में उनका देहांत हो गया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को शहर के तकिया स्थित निजी आवास हरिवंश मोती राज कुटीर पर लाया गया। इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ सोमवार की सुबह 10:00 बजे से उनकी अंतिम यात्रा उनके आवास से सासाराम कलेक्ट्रेट गेट स्थित बाबा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर नतमस्तक होते हुए तकिया स्थित शवदाह गृह में उनकी अंतिम संस्कार किया गया।उनको मुखाग्नि उनके इकलौते पुत्र गौतम ऋषि ने दी। ज्ञातव्य हो कि शहर के तकिया मोहल्ले में 2 अप्रैल 1961 में जन्मे राजेंद्र पासवान स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने समाजवादी नेता के रूप में जिले में अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस फाउंडेशन संस्था की स्थापना की इसके बैनर तले उन्होंने कई सामाजिक कार्य करने का काम किया। वह हर साल 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती और 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाया करते थे और इन महापुरुषों के बताएं मार्गों पर चलने के लिए लोगों को प्रेरित करते रहे।शहर के विभिन्न चौक चौराहा पर स्थित देश के महापुरुषों के आदमकद प्रतिमा को साफ सफाई कर फूल माला लगाना उनका रोज का काम था। असल में वे सच्चे देशभक्त नेता थे। वे मृदुभाषी मिलनसार स्वभाव के नेता थे। समाज के हर एक वर्गों में उनको जानने और चाहने वाले लोग हैं। वर्ष 2002 में जदयु में शामिल हुए और लंबे समय तक राजनीति की। इसके बाद वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हुए। 4 वर्ष के राजनीतिक सफर के बाद वह लोजपा में शामिल हुए। इस पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चलने के कारण वह वर्ष 2024 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। वर्तमान में वे बिहार प्रदेश कांग्रेस सहकारिता विभाग के प्रदेश महासचिव के पद को सुशोभित कर रहे थे और पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम कर रहे थे।
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