गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।
एटीएच न्यूज़ 11:- गढ़वा जिले के हरिहरपुर ओपी क्षेत्र के डुमरसोता पंचायत क्षेत्र के श्रीनगर गांव स्थित सोन नदी पर बनने वाला बहुप्रतीक्षित श्रीनगर–पंडुका पुल, जो झारखंड और बिहार को सीधे जोड़ेगा, अब पुनः गति पकड़ चुका है। पिछले 15 महीनों से बंद पड़ी यह परियोजना पुनर्निविदा के बाद पुनः प्रारंभ कर दी गई है। पुल निर्माण कार्य को अप्रैल 2028 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कार्य निष्पादन की जिम्मेदारी बीके गुप्ता इंफ्रास्ट्रक्चर दिल्ली को सौंपी गई है। इस बार पुल निर्माण की पुनर्निविदा 1 अरब 53 करोड़ रुपये की राशि से की गई है।
पूर्व संवेदक बृजेश अग्रवाल को गुणवत्ता दोष और अनियमितताओं के कारण काली सूची में डालते हुए कार्य मुक्त कर दिया गया था। बिहार के कई जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर एनआईटी (राष्ट्रीय गुणवत्ता जांच दल) ने जांच की और निर्माण में गंभीर खामियों की पुष्टि की। जांच के बाद काम रोक दिया गया था। पुल की 2.15 किलोमीटर लंबी संरचना में पहले से अधिक पिलरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। निर्माण के दौरान पिलरों में आई दरारों को दूर करने के लिए संरचना में जैकेट लगाने या एनआईटी से बात कर अन्य तकनीकी समाधान पर विचार किया जा रहा है।
पुल के बन जाने से इस क्षेत्र के लोगों को बिहार तक की 120 किलोमीटर की दूरी घटकर मात्र 15–20 किलोमीटर रह जाएगी। इससे दोनों राज्यों के बीच परिवहन, व्यापार और आवागमन को बड़े स्तर पर लाभ होगा।
डूमरसोता पंचायत के मुखिया राजेश्वर विश्वकर्मा ने कहा कि पुल निर्माण से “दो राज्यों के दिलों का रिश्ता” मजबूत होगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
हरिहरपुर पंचायत के मुखिया अनुज कुमार सिंह ने ने कहा कि पुल बनने से दूरी कम होगी और डेहरी ऑन सोन पहुंचना आसान हो जाएगा। मरीजों को इलाज के लिए अब लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
श्रीनगर गांव के ग्रामीण का कहना है कि पुल निर्माण से युवाओं के लिए नए रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।
वहीं कई व्यापारीयों के अनुसार पुल बनने से कृषि उपकरणों के आवागमन में सुविधा होगी और कृषि उपज के आयात–निर्यात में वृद्धि कहा कि पुल नहीं होने की वजह से कई रिश्ते और संपर्क कमजोर पड़ गए थे, लेकिन पुल निर्माण के बाद फिर से सामाजिक और वैवाहिक संबंध मजबूत होंगे।
श्रीनगर–पंडुका पुल के पुनः प्रारंभ होने से पूरे क्षेत्र में उत्साह है। लोगों को भरोसा है कि यह पुल न सिर्फ दूरी घटाएगा, बल्कि विकास और समृद्धि का नया मार्ग खोलेगा।
