संजय कुमार चौरसिया ब्यूरो रिपोर्ट बस्ती.
कलवारी - लुम्बिनी दुद्धी मार्ग के सरयू नदी स्थित माझा खुर्द घाट पर शुक्रवार को भोर से ही मौनी अमावस्या के पर्व पर पवित्र सरयू नदी मे काफी संख्या में क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और गौ दान के साथ मां सरयू के तट पर पूजन अर्चन व कथा भंडारे का कार्यक्रम आयोजित किया। 144 वर्ष बाद के दुर्लभ संयोग और महाकुम्भ होने के कारण माझा खुर्द घाट पर मौनी अमावस्या स्नान पर्व के अवसर पर कलवारी क्षेत्र सहित जनपद के कोने-कोने से श्रद्धालु पावन सरयू नदी में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। थाना कलवारी प्रशासन ने स्नान पर्व को देखते हुए सुविधाओं का व्यापक प्रबंध किया। स्नानार्थियों के लिए सफाई, पथ प्रकाश, अलाव का प्रबंध किया गया।
क्षेत्र के कोरमा, पांऊ, डेल्हवा, बगही, चकदहा, फूलपुर, बैष्णोपुर, सैफाबाद, तुरकौलिया, चरकैला, सुवरहा, मिश्रौलिया, भंगुरा, कलवारी, अगौना सहित तमाम गांवो के लोगों ने साईकिल, मोटर साईकिल, टैक्टर ट्राली व पैदल चलकर इस पर्व पर सरयू नदी मे स्नान किया। और महिलाओं ने मां सरयू को कड़ाही चढ़ाया। भोर से ही कलवारी पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रही।
प्रसिद्ध कथावाचक पं0 कृपाशंकर शुक्ल ने बताया कि मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या पर स्नान-दान का विशेष महत्व होता है।
माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। माघ के महीने में मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह अमृत के समान फल पाता है। माघ अमावस्या पर मौन रहने का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन अगर मौन रहना संभव न हो तो भी आप अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और अपने मुंह से अपशब्द या कटु वचन न बोलें।
पुराणों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन, मन की स्थिति कमजोर होती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान है। माघ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
मौनी अमावस्या के दिन प्रात:काल नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन व्रत का संकल्प लेने के बाद मौन रहने का प्रयास करना चाहिए। इस दिन भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं। माघी अमावस्या के दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए।
माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव ना हो, वो मीठा भोजन करें।
थानाध्यक्ष कलवारी जनार्दन प्रसाद ने बताया कि क्षेत्र के पावन सरयू नदी में मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर प्रशासन ने सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया है। 05 उपनिरीक्षक, 15 आरक्षी, 06 महिला आरक्षी सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद रहेगी। साथ ही साथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु नदी मे बैरिकेटिंग, स्थानीय नाविक और मोटर बोट की भी व्यवस्था की गई है।
श्रद्धालुओं ने माझा खुर्द घाट पर लुम्बिनी दुद्धी मार्ग स्थित कलवारी टांडा पुल के नीचे पुल के अप्रोच और पुल की सुरक्षा के लिए बंधे से नदी के तरफ स्लोब के रूप में बड़े-बड़े पत्थर बिछाए गए हैं। इन्हीं पत्थरों पर से होकर श्रद्धालु माझा खुर्द घाट पर स्नान करने के लिए नदी में उतरते हैं। पत्थरों के स्लोब पर पैर फिसलने से कई बार श्रद्धालु चोटिल भी हो चुके हैं। क्षेत्रीय श्रद्धालुओं ने पुल से नीचे उतर कर स्नान करने जाने के लिए घाट पर सीढ़ी बनवाए जाने की मांग किया है।