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पटना के जे डी वीमेंस काॅलेज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में गार्गी अध्याय द्वारा गार्गी नारीशक्ति सम्मेलन 2025 का हुआ आयोजन।





रोहतास ब्यूरो अंगद जी पाठक की रिपोर्ट।।



पटना/बिहार:-आज दिनांक 09-03-2025 दिन रविवार को गार्गी_नारीशक्ति_सम्मेलन_2025 का आयोजन वर्ष 2022, 2023 तथा 2024 की भांति इस वर्ष भी किया गया जिसमें बिहार की 250+ प्रेरणादायक महिलाओं को उनके उत्कृष्ट सामाजिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक योगदान हेतु सम्मानित किया गया । इस अवसर पर संबोधन के प्रारंभ में मैंने उपस्थित नारीशक्ति का अभिनंदन किया और कहा कि मुझे विकसित बिहार के निर्माण में उनकी सक्रिय भागीदारी चाहिए चूंकि मैं उन्हे उन परम विदुषी गार्गी वाचकन्वी का प्रतिनिधिस्वरूप मानता हूँ, जिनकी प्रतिज्ञा रही थी कि जब तक सत्य को स्वयं से अनुभूत नहीं कर लेंगी तब तक उस पर विश्वास नहीं करेंगी । गार्गी-याज्ञवल्क्य संवाद उस प्राचीन बिहार मे, एक ऐसे कालखंड मे, जिस समय शेष पूरे विश्व मे नारी के बौद्धिक शक्ति की ऐसी कहीं कोई संकल्पना नहीं थी, बिहार मे महिलाओं की बौद्धिक उत्कृष्टता का जीता-जागता प्रमाण है । यह अध्याय उन्हीं विदुषी गार्गी वाचक्नवी की स्मृति में समर्पित है, जिन्होंने प्राचीन भारत में अपनी विद्वता से श्रेष्ठतम विद्वानों को भी चुनौती दी थी । 

अभियान के उद्देश्यों को समझाते हुए मैंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत में विकसित बिहार का निर्माण आसान नहीं है । एक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए मैंने बताया कि बिहार में आज एक माह में प्रति व्यक्ति आय मात्र 5028 रूपये है, जो भारत में सर्वाधिक पिछड़ा है, जबकि सिक्किम में यह 48,979 है । यह अत्यंत सुखद है कि बिहार का विकास दर अभी लगभग 14.5% है । परंतु यदि इस दर पर भी हम विकसित होते हैं तो 2047 तक विकसित भारत में एक विकसित बिहार के निर्माण की चुनौती कितनी कठिन है यह स्पष्ट समझा जा सकता है । जब तक हम बिहार में उद्यमिता की क्रांति लाने के निमित्त कार्य नहीं करेंगे तो हम लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकेंगे और इसके लिए हमें जाति-संप्रदाय, लिंगभेद और विचारधारात्मक मतभेदों से उपर उठकर कार्य करना होगा । इसमें नारीशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है ।

मैंने आगे कहा कि आज लाखों की संख्या में बिहारवासी जाति-संप्रदाय, लिंगभेद और विचारधारात्मक मतभेदों से उपर उठकर जुड़ चुके हैं और लगभग 1,70,000+ व्यक्ति स्वैच्छिक रूप से अभियान के अंतर्गत गठित अध्यायों में जुड़कर सकारात्मक योगदान समर्पित करने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें 12,000+ महिलाएं हैं । यह भविष्य के लिए अत्यंत सुखद संकेत है । बिहार अभी ट्रांजिशन फेज मे है, और यहाँ परिवर्तन निश्चित रूप से होगा, जिसके लिए हमे आशान्वित रहने के साथ-साथ समाज मे अपना योगदान समर्पित करते रहना  होगा।  मैंने यह भी कहा कि आज से 20-25 साल पहले कोई नहीं यह सोंच सकता था कि मोबाईल की इतनी बड़ी क्रांति होगी, हरेक हाथ मे मोबाईल होगा, सब तक इंटरनेट की पहुँच होगी, सूचना का इतना बड़ा विस्तृत आकाश सबके सामने खुला होगा, पर आज यह वास्तविकता मे रूपांतरित हो चुका है । इसलिए हम सबको भावी परिवर्तन के बारे मे पूर्ण रूप से आशान्वित रहना होगा और तत्पर भी । मैंने सभी को बताया कि जब गार्गी अध्याय के अंतर्गत गार्गी पाठशाला खोले जाने पर विचार विमर्श चल रहा था उस समय मन मे कहीं न कहीं संशय था परंतु आज पटना मे मात्र 3 गार्गी केंद्रों से प्रारंभ हुआ अभियान देखते ही देखते बिहार के विभिन्न कोनों मे 24 केंद्रों पर गतिमान है, जिनमें से 19 केंद्रों का संचालन महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है, यह न सिर्फ इस अभियान की, विशेषकर गार्गी अध्याय की बहुत बड़ी सफलता है जिसके लिए मैंने गार्गी अध्याय की मुख्य समन्वयक डॉ प्रीति बाला जी तथा उनके समर्पित एवं सशक्त टीम को बधाई दी और कहा कि उनके सदप्रयासों के कारण ही गार्गी अध्याय आज बिहार में संकल्पित एवं प्रबुद्ध महिलाओं का प्रमुख वैचारिक एवं सामाजिक मंच बन चुका है जिसके अंतर्गत गार्गी पाठशाला केन्द्रों पर निःशुल्क शिक्षादान के अतिरिक्त वंचित महिलाओं के स्वरोजगार हेतु गार्गी कला कौशल केंद्रों तथा गार्गी कृत्या के माध्यमों से भी उत्कृष्ट प्रयास किया जा रहा है ।एक घटना का उल्लेख करते हुए मैने कहा कि आज से कई वर्ष पूर्व मैं सिंगापूर गया था, जहां एक महिला को ट्रक चलाते हुए देखकर मैं बहुत आश्चर्यचकित हुआ था कि ये क्या है, ऐसा भारत में भी हो सकता है क्या ! लेकिन आज जब ऑटो रिक्शा संघ, मुजफ्फरपुर, लेट्स इन्सपाइर बिहार अभियान से जुड़ चुका है, जिसमे से ऑटो चलाने वाली बहुत सारी महिलाये भी शामिल हैं, तो इसके लिए मुझे हर्ष और गर्व दोनों होता है कि जिस चीज को आज से एक दशक पूर्व दूसरे देश मे देखकर मुझे आश्चर्य हुआ था, वह आज हमलोग बिहार मे अपने आँखों के सामने देख पा रहे हैं । यह नारी सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण है । जब एक महिला चालक ऑटो या कैब चलाएगी तो इससे उन महिलाओं मे भी सुरक्षा का भाव उतत्पन्न होगा जो बाहर निकलने मे सशंकित और असुरक्षित महसूस करती हैं । ये छोटे-छोटे परिवर्तन हैं, जिनको बिहार के सामाजिक संदर्भ मे यदि देखा जाए तो गहरे अर्थ, मायने एवं भविष्यात्मक उपयोगिता हैं । 

बिहार के विकास मे महिलाओं की भागीदारी की महत्ता को रेखांकित करते हुए मैंने आगे कहा कि बिहार मे महिलाओं को और अधिक सशक्त करने के लिए हमे इनफार्मेशन टेक्नॉलजी और डिजिटल इंटेरफेस के माध्यम का सहारा भी लेना होगा । मैंने बिहार के विकास मे महिलाओं की भागीदारी के लिए अपने स्तर से दो विकल्प भी सुझाए । पहला यह कि जो महिलायें घर से काम करना चाहती हैं उनके लिए डिजिटल माध्यम से कुछ विकल्प सृजित किये जाने पर विचार करना होगा तथा दूसरा यह कि महिला द्वारा संचालित उद्धोगों को वैश्विक स्तर पर बाजार उपलब्ध कराने की दिशा मे प्रयास करना होगा । मिथिला क्षेत्र में कार्यरत सखी बहिनपा समूह के कार्यों की सराहना करते हुए मैंने सभी क्षेत्रों की महिलाओं को उनके माॅडल को समझने का आह्वान किया और कहा कि हमारा लक्ष्य है 2047 तक धीरे-धीरे क्रमबद्ध तरीके से बढ़ना एवं महिलाओं को उधोग जगत से जोड़ना  । उधमिता के क्षेत्र मे बिना महिलाओं के आगे आए बिहार मे उधमिता की क्रांति संभव नहीं है । बिहार मे क्षमता की कमी नहीं है। आवश्यकता है सिर्फ उस बिहार को जगाने कि जहां सम्राट अशोक के स्तम्भ पर उत्कीर्त सिंह को गर्जना करना होगा, और इस अभियान मे बिना नारी-शक्ति के जुड़ाव के यह गर्जना असंभव होगा । 

इस सम्मेलन में प्राप्त सहस्रों नॉमिनेशन्स की समीक्षा के उपरांत चयनित 51 विदुषियों को गार्गी_उत्कृष्टता_सम्मान से अलंकृत किया गया । इसके अतिरिक्त गार्गी_समता_सम्मान तथा गार्गी_उत्कृष्ट_नेतृत्व सम्मान से भी अनेक विदुषियों को अलंकृत किया गया । इस वर्ष साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्टता हेतु डाॅ_उषा_किरण_खान_मेमोरियल_अवार्ड का प्रांरभ किया गया जिसमें प्रथम अवार्ड से कटिहार की राधा शैलेंद्र जी को अलंकृत किया गया । सुप्रसिद्ध गायिका प्रिया मल्लिक जी को गार्गी_प्राइड_ऑफ_बिहार से अलंकृत किया गया । इस अवसर पर चयनित गार्गी_स्पीकर्स द्वारा बिहार में नारीशक्ति के उन्नयन संबंधी विषयों पर विचार साझा किए गए । वंचित व्यक्तियों को भोजनदान हेतु #गार्गी_अन्नपूर्णा का भी शुभारंभ किया गया ।इस अवसर पर पद्मश्री से अलंकृत निर्मला देवी जी, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्या सुषमा साहू जी, जयप्रकाश विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रमेन्द्र वाजपेई जी, अधीक्षण पुरातत्वविद सुजीत नयन जी, , चेतना समिति की अध्यक्षा निशा मदन झा जी, सुप्रसिद्ध लोकगायिका नीतू कुमारी नूतन एवं बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्षा उषा झा जी, ममता मेहरोत्रा जी, सेवानिवृत्त विंग कमांडर उमेश त्रिपाठी जी, पटना आईआईटी के कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की विभागाध्यक्षा श्वेता सिन्हा जी, पटना वॉमेंस कॉलेज की मनोविज्ञान संकाय की प्रोफेसर डॉक्टर फरहाद हसन जी, सखी बहीनपा संगठन की अध्यक्षा आरती झा जी समेत अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे । 

कार्यक्रम का शुभारंभ गार्गी पाठशाला के छात्रों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन से हुआ, जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक और प्रेरणादायक बन गया। बिहार की समृद्ध संस्कृति को दर्शाने के लिए लोक नृत्य, पारंपरिक व्यंजन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया । इस पूरे आयोजन को नेहा सिंह जी और शायरिन इरम जी ने संयोजित किया । इस अवसर पर लेखिका सुधा पांडे की किताब “जाने कहाँ गए वो दिन” का विमोचन किया गया ।

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