ATH NEWS 11:-आज के परिवेश मे जीवन को खुशहाल और स्वस्थ रखने के लिए लोगों को अपने आहार और विचार पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। लोगों की जीवन भाग दौड़ मे व्यतीत हो रही है और लोग लापरवाह होते जा रहे हैं। जिसके कारण लोग अस्वस्थ और रोगी होते जा रहे हैं। इस सन्दर्भ मे खान पान पर चर्चा करते हुए वरीय फिजिकल इंस्ट्रक्टर और शिक्षाविद रवि भूषण पाण्डेय ने मांसाहार और शाकाहार पर एक विचारशील चर्चा की। उन्होंने कहा की सात्विकता के लिए सात्विक भोजन, राजसिकता के लिए राजसिक भोजन और तामसी कार्यों के लिए तामसी भोजन करना चाहिए। सात्विक भोजन के साथ साथ लोगों को नियमित योग अभ्यास को भी अपनाना चाहिए।
नियमित योग, शाकाहार भोजन करने से लोग स्वस्थता के साथ आरोग्यता भी प्राप्त करते हैं।
"भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मांसाहारी भोजन राक्षसों के लिए है, इंसानों के लिए नहीं।" उन्होंने आगे कहा, "सनातन धर्म विशेषकर गीता के अनुसार, हर आत्मा में परमात्मा का वास है। किसी को मारेंगे तो उस जीव को कष्ट होगा।"
एक दर्शानिक की विचार को चर्चा करते हुए कहा, फल और सब्जियाँ रंगीन और खुशबूदार होती हैं, वो आपको मनमोहक लगती हैं जबकि मांस देखने में भद्दा और बदबूदार होता है। किसी फल के बगीचे में चले जायें तो मन खिल जाता है। एक दो फल तोड़कर खाने का मन करता है, वहीं किसी कत्लगाह में चले जाएँ तो अच्छा खासा स्वस्थ मन भी खराब हो जाए। फल या सब्ज़ी तोड़ने या काटने पर आपको कोई ग्लानि नहीं होती, उनकी पीड़ा, उनका रोना और चीखना आपको सुनाई या दिखाई नहीं देता, वहीं किसी पशु की हत्या करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता । इसलिए देखा जाए तो प्रकृति ने आपकी इंद्रियों को ऐसा बनाया है कि जिव्हा के अलावा बाकी सभी इन्द्रियाँ मांसाहार के खिलाफ हैं। पसंद आपका है। वैसे ठीक ही कहा गया है, जैसा खाये अन्न, वैसा होय मन ।