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"कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा हो सकती है, तो कश्मीर में क्यों नहीं?" – डॉ. राजीब पाल




कोलकाता/ दिल्ली /इंदौर :- विगत कुछ वर्षों से एक विचार मन में एक दर्द उत्पन्न कर रहा था—पूरी दुनिया जिस स्वामी विवेकानंद जी को अपनी विचारधारा एवं अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा के रूप में मानती रही है, जिन्होंने भारत की सनातन हिन्दू अध्यात्मिकता अर्थात हिंदुत्व को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया—आज उसी भारत में हम मानते हैं कि लगभग 40% युवा उन्हें अपनी विचारधारा एवं आदर्श मानते हुए उनके पदचिन्हों पर चल रहे हैं।


तो फिर उस महान संत की प्रतिमा यदि कन्याकुमारी में इतनी भव्यता से स्थापित होकर पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है, तो हिमालय की गोद में बसे कश्मीर की डल झील के किनारे हम स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा क्यों नहीं बना सकते?


क्या भारत की 150 करोड़ जनता में यह हिम्मत नहीं है?


हम भारत के आज़ादी के अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं। इस अमृत काल में हमने इस कार्य को करने का संकल्प लिया है।



विगत दिनों, 14 से 15 जून 2025 को स्वामी विवेकानंद जी के जन्मस्थल कोलकाता में स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार समारोह तथा मिशन विश्व गुरु भारत सम्मेलन 2025 में एक भव्य सम्मान समारोह के तहत स्वामी विवेकानंद स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल पीस, स्पिरिचुअल एंड कल्चरल सेंटर के पोस्टर का भव्य विमोचन भी किया गया।


उक्त आयोजन नेचुरो ऑल्टरनेटिव मेडिकल रिसर्च साइंस फेडरेशन,भारत, मिशन विश्व गुरु भारत, सेव बंगाल कम्युनिटी एवं कल्चरल के अंतर्गत इस कार्य को भव्य रूप देने की कार्ययोजना को सफल बनाने की रूपरेखा तैयार की गई।


इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में रामकृष्ण मिशन स्वामी विवेकानंद के पैतृक आवास एवं सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के स्वामी जन्नालोकानंद जी महाराज, पद्मश्री स्वामी प्रदीप्तानंद (कार्तिक महाराज जी), भारत सेवाश्रम संघ, बेलडांगा, मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल); पद्मश्री काज़ी मसूम अख्तर, प्रख्यात शिक्षाविद एवं स्तंभकार, कोलकाता; डॉ. स्वरूप प्रसाद घोष निदेशक भारतीय समाज विज्ञान अध्ययन केंद्र (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) जादवपुर; सुश्री भारती घोष पूर्व आईपीएस राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय जनता पार्टी एवं सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, भारतीय जनता पार्टी, कोलकाता;

संतश्री भट्टाचार्य प्रसिद्ध गायिका एवं ब्रांड एंबेसडर वर्ल्ड बुक ऑफ स्टार रिकॉर्ड्स सूरत (गुजरात); श्री बिनायक बंद्योपाध्याय प्रमुख कवि एवं लेखक कोलकाता; श्री राजर्षि लाहिरी सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के वंशज; आचार्य डॉ. गोपाल खत्री जी, डॉ.प्रसनजीत दास —सभी की गरिमामयी उपस्थिति रही।


कार्यक्रम एवं अभियान के संस्थापक डॉ. राजीब पाल ने सभी को इस कार्य योजना के बारे में विस्तार से बताया, जिस पर सभी ने एकमत होकर इस अभियान में हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया।


कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से पधारे डॉ. हिलाल अहमद जी ने मंच से सभी को इस अभियान में सहयोग देने का आह्वान किया।


इस अभियान की आगामी योजना के लिए एक प्रतिनिधि मंडल भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री श्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला, देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, संस्कृति मंत्री, सांसद, विधायक आदि से मिलकर इस अभियान में सहयोग एवं सुझाव आमंत्रित करने हेतु प्रयास कर रहा है।


हम देश की 150 करोड़ जनता सहित पूरे विश्व के नागरिकों से इस कार्य योजना में तन, मन, धन से साथ देकर इसे सफल बनाने का आह्वान करते हैं।


संस्था ने यह निर्णय लिया है कि आगामी जनवरी 2026, स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस के अवसर पर कश्मीर घाटी में इस कार्य का शुभारंभ किया जाएगा, जहाँ स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा के निर्माण के साथ-साथ स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय शांति, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की जाएगी। वहाँ से समस्त विश्व को शांति, सेवा और भारतीय सांस्कृतिक चेतना का संदेश दिया जाएगा।


इस कार्य योजना के सफल होने पर जम्मू-कश्मीर सहित संपूर्ण भारत में एक नए युग का सूर्योदय होगा, और हम "विकासशील भारत" से "विकसित भारत" की ओर एक और सशक्त कदम बढ़ा सकेंगे।


यह अभियान डॉ. राजीब पाल के नेतृत्व में, पद्मश्री डॉ. काज़ी मसूम अख्तर के सहयोग से, महामंडलेश्वर भूपेंद्र गिरी जी महाराज, पद्मश्री स्वामी प्रदीप्तानंद जी महाराज, स्वामी जन्नालोकानंद जी महाराज सहित अनेक परामर्शदाताओं एवं संस्था के मार्गदर्शन में पूर्ण किया जाएगा।

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