गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।
एटीएच न्यूज़ 11:- गढ़वा जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत लमारी कला पंचायत के हरीगांवा गाँव निवासी स्व. रामचन्द्र पासवान का 35 वर्षीय पुत्र रंजीत कुमार पासवान उर्फ गुड्डू पासवान कैंसर से पीड़ित है। गरीबी के कारण इलाज कराना उसके लिए मुश्किल है। वह एक फुस की झोपड़ी में निवास करता है। वह दिव्यांग है।पेंशन तो मिलता है, किंतु पेंशन के पैसे से दिव्यांग रंजीत का इलाज होना असम्भव है। यह खबर 14 जुलाई को प्रकाशित भी हुई थी। जिसपर कांडी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सह अंचलाधिकारी राकेश सहाय ने संज्ञान लेते हुए एम्बुलेंस से 18 जुलाई को सदर अस्पताल गढ़वा भेजा। जहां कैंसर का इलाज हो पाना असंभव है। वहां से निजी गाड़ी से रंजीत 5-6 दिनों के बाद पुनः अपने घर को लौट आया। कैंसर पीड़ित युवक रंजीत ने समाजसेवी संस्था दृष्टि यूथ ऑर्गेनाइजेशन के प्रधान सचिव शशांक शेखर से उसने फोन के माध्यम से संपर्क कर दर्द भरी पूरी कहानी के साथ अपनी व्यथा सुनाई। फिर क्या कहना, शशांक गुरुवार को रंजीत की फुस की झोपड़ी में मिलने पहुंच गए। सारी कहानी जानकर वे काफी दुःखित हुए। उन्होंने कहा कि बड़े पदाधिकारी व सरकार को तुरंत संज्ञान लेते हुए कैंसर हॉस्पिटल में रंजीत का जल्द इलाज करवाना चाहिए। उन्होंने वहीं से झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से फोन के माध्यम से बात कर कैंसर पीड़ित युवक रंजीत को कैंसर हॉस्पिटल में इलाज कराने का आग्रह किया। स्वास्थ्य मंत्री ने आस्वस्त करते हुए कहा कि व्हाट्सप्प पर उसका नाम, पता व मोबाइल नम्बर भेज दीजिए। उसका इलाज बेहतर अस्पताल में अवश्य होगा। देर न करते हुए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के व्हाट्सएप पर नाम, पता व मोबाइल नम्बर भेज दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार रंजीत के कमर पर तकरीबन एक वर्ष से एक घाव था, जो धीरे-धीरे ट्यूमर का रूप धारण कर लिया। पैसे के अभाव में वह इलाज कराने से असमर्थ रहा। जब स्थिति बिगड़ी तो वह किसी प्रकार उधार-पधार पैसे लेकर एक माह पूर्व वाराणसी स्थित हेरिटेज अस्पताल पहुंचा। जहां से घाव का जांच सेम्पल भेजा गया। रिपोर्ट के अनुसार चिकित्सक ने उसे कैंसर बताया। रंजीत ने कैंसर का नाम सुनते ही भावुक हो गया, चिंता सताने लगी। यह खबर प्रकाशित हुई, उसे प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने एम्बुलेंस से सदर अस्पताल गढ़वा भेजा गया। हास्यपद तो यह कि सदर अस्पताल गढ़वा में 5-6 दिनों तक कैंसर पीड़ित उक्त युवक को रखा गया, जब उसकी हालत और भी बिगड़ने लगी तो वह निजी गाड़ी से घर आ पहुंचा। उसने शशांक शेखर को बताया कि मैं अपाहिज, विवश व लाचार हूँ। मैं जीवित रहना चाहता हूं, चुकी उसके पीछे एक बूढ़ी बीमार मां भी है। जैसे-तैसे घरेलू खर्च का वहन वही करता है। उसने अपना मोबाइल नंबर 8340518086 जारी किया है। साथ ही कांडी स्टेट बैंक का खाता नम्बर 33210010652 बताया है। उसने कहा कि अगर कोई सहयोग करना चाहता है तो दिए गए नम्बर पर संपर्क करें।
