झारखंड से लालदेव कुमार सिंह की रिपोर्ट.
हजारीबाग : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), नई दिल्ली की टीम गुरुवार को हजारीबाग जिला का दौरा किया। टीम में श्री अंबुज बाजपेयी (उप सचिव, PRAG), सुश्री सरोज कुजूर (अवर सचिव, सामान्य), डॉ. वसीम इकबाल (consultant DM) शामिल थे।
टीम ने उपायुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में समीक्षा बैठक की। बैठक में हजारीबाग, रामगढ़, दुमका एवं साहेबगंज जिलों के आपदा मित्रों, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक में डॉ. वसीम द्वारा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के कार्यों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) के दृष्टिकोण से विस्तारपूर्वक बताया गया। जिलों को आपदा तैयारी एवं रिस्पॉन्स सिस्टम मजबूत करने, राज्य एवं जिला आपदा प्रबंधन योजनाओं (SDMP/DDMPs) की समीक्षा एवं अद्यतन से संबंधित दिशा-निर्देश साझा किए गए।
बैठक में जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की तैयारियों का आकलन किया गया तथा कई बिंदुओं पर विशेष चर्चा की गई। अर्ली वार्निंग एवं अर्ली एक्शन प्लान की स्थिति, अंतर-विभागीय समन्वय (Armed Forces, CAPF, NDRF, SDRF) एवं सिविल-मिलिट्री कॉन्फ्रेंस, SEOC/जिला EOC की संरचना एवं कार्यप्रणाली एवं कम्युनिटी वॉलंटियर्स (आपदा मित्र, आपदा सखी, दिदी) का प्रशिक्षण एवं सहभागिता पर विशेष बल दिया गया।
बैठक में राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की संरचना की जानकारी दी गई। साथ ही हाथियों का प्रकोप, स्नेक बाइट, हीट वेव, लाइटनिंग, अग्निकांड, भारी वर्षा एवं बिजली से संबंधित घटनाओं से निपटने की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।
Mock Exercises for Enhanced Preparedness पर बल देते हुए कहा गया कि राज्य स्तर पर मल्टी-हैजर्ड एक्सरसाइज एवं CBRN (केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर) ड्रिल्स आयोजित की जा सकती हैं। क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे एविएशन, रेलवे, सी-पोर्ट, पावर सेक्टर, रिफाइनरी एवं न्यूक्लियर फैसिलिटी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। धार्मिक आयोजनों के दौरान भी मॉक एक्सरसाइज को आवश्यक बताया गया। इन अभ्यासों में NDRF, SDRF, Armed Forces, Police Forces, Alert Generating Agencies एवं विभिन्न विभागों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।
बैठक में आपदा प्रबंधन के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा गया कि आपदा प्रबंधन केवल राहत एवं बचाव तक सीमित न रहकर जोखिम न्यूनीकरण, सामुदायिक सहभागिता एवं तकनीकी उपयोग पर आधारित होना चाहिए। साथ ही ‘सचेत ऐप’ की जानकारी दी गई एवं इसके व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया।