सासाराम:-प्रभात फेरी गुरुद्वारा टकसाल संगत से निकला, जो शहर के विभिन्न मोहल्लों से गुजरते हुए पुन: गुरुद्वारा पहुंचा. जहां विशेष कीर्तन दरबार का आयोजन हुआ.गुरुद्वारा प्रधान सरदार मानिक सिंह ने कहा कि अंग्रेजी वर्ष का अंतिम महीना धर्म रक्षार्थ अभूतपूर्व शहादत के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा. जब 21 दिसंबर से 27 दिसंबर के बीच श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज ने धर्म की रक्षा के लिए अपने चार पुत्रों को बलिदान कर दिया था.
पंजाब के चमकौर में मुगल सेना से लड़ने के लिए मात्र 18 वर्ष के अपने बड़े बेटे अजीत सिंह और दूसरे बेटे मात्र 16 वर्ष के जुझार सिंह को भेज दिया था. दोनों ने 21 दिसंबर को मुगलों से लड़ते हुए अपनी शहादत दी थी. इसके चंद दिन बाद ही 25 दिसंबर को पंजाब के सरहिंद में मुगलों ने गुरु के तीसरे बेटे आठ वर्षीय जोरावर सिंह और छह वर्षीय फतेह सिंह को इस लिए जिंदा दीवार में चुनवा दिया कि वे छोटे बच्चे भी मरना कबुल किये पर धर्म बदलने को तैयार नहीं हुए. ऐसी शहादत दुनिया के किसी कौम में नहीं मिलती है. आज लोग थोड़े से पैसे और सुविधा के लिए धर्म बदलने को तैयार हो जाते हैं.
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औरंगाबाद.